Kahaniyan jo shuru nahi huyi (कहानियाँ जो शुरू नहीं हुई)
Material type:
- 9788197032783
- H 891.43 S4K2
Item type | Current library | Item location | Collection | Shelving location | Call number | Status | Notes | Date due | Barcode | |
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Hindi Books | Vikram Sarabhai Library | Rack 11-A / Slot 399 (0 Floor, West Wing) | Fiction | Hindi | H 891.43 S4K2 (Browse shelf(Opens below)) | Available | 207664 |
बचपन में मैं पीपल के पत्ते की पिपहरी बनाकर उसको बजाने का आनन्द लिया करता था। इन दिनों पिपहरी बजाने जैसा वही आनन्द बच्चों के लिए लिखने में मिल रहा है। हाल ही में विनोद कुमार शुक्ल ने बच्चों के लिए लिखने के बारे में यह बात कही है। आप बच्चों के लिए लिखकर सचमुच पिपहरी बजाने का मज़ा ले रहे हैं। मज़े से की गई इन रचनाओं में उनके अन्दाज़ और भाषा का मज़ा भी है। देबब्रत घोष के चित्रों में कहानी सुनाने वाली बड़ी चाची और कहानी सुनते बच्चे पड़ोस के बच्चे लगते हैं। लगभग सभी चित्रों में दो रंगों का जोड़ है। जैसे अनगिनत रंग पढ़ने वाले की कल्पना में उमड़ने के लिए छोड़ दिए हों।
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