Kahaniyan jo shuru nahi huyi (कहानियाँ जो शुरू नहीं हुई)
Shukla, Vinod Kumar
Kahaniyan jo shuru nahi huyi (कहानियाँ जो शुरू नहीं हुई) - New Delhi Jugnoo Prakashan 2024 - 48 p. : ill.
बचपन में मैं पीपल के पत्ते की पिपहरी बनाकर उसको बजाने का आनन्द लिया करता था। इन दिनों पिपहरी बजाने जैसा वही आनन्द बच्चों के लिए लिखने में मिल रहा है। हाल ही में विनोद कुमार शुक्ल ने बच्चों के लिए लिखने के बारे में यह बात कही है। आप बच्चों के लिए लिखकर सचमुच पिपहरी बजाने का मज़ा ले रहे हैं। मज़े से की गई इन रचनाओं में उनके अन्दाज़ और भाषा का मज़ा भी है। देबब्रत घोष के चित्रों में कहानी सुनाने वाली बड़ी चाची और कहानी सुनते बच्चे पड़ोस के बच्चे लगते हैं। लगभग सभी चित्रों में दो रंगों का जोड़ है। जैसे अनगिनत रंग पढ़ने वाले की कल्पना में उमड़ने के लिए छोड़ दिए हों।
https://www.ektarashop.in/Kahaniyan-Jo-Shuru-Nahi-Huyi?tag=Books
9788197032783
Children's stories, Hindi
Hindi fiction - Juvenile literature
Storytelling - Fiction
Childhood - Fiction
H 891.43 / S4K2
Kahaniyan jo shuru nahi huyi (कहानियाँ जो शुरू नहीं हुई) - New Delhi Jugnoo Prakashan 2024 - 48 p. : ill.
बचपन में मैं पीपल के पत्ते की पिपहरी बनाकर उसको बजाने का आनन्द लिया करता था। इन दिनों पिपहरी बजाने जैसा वही आनन्द बच्चों के लिए लिखने में मिल रहा है। हाल ही में विनोद कुमार शुक्ल ने बच्चों के लिए लिखने के बारे में यह बात कही है। आप बच्चों के लिए लिखकर सचमुच पिपहरी बजाने का मज़ा ले रहे हैं। मज़े से की गई इन रचनाओं में उनके अन्दाज़ और भाषा का मज़ा भी है। देबब्रत घोष के चित्रों में कहानी सुनाने वाली बड़ी चाची और कहानी सुनते बच्चे पड़ोस के बच्चे लगते हैं। लगभग सभी चित्रों में दो रंगों का जोड़ है। जैसे अनगिनत रंग पढ़ने वाले की कल्पना में उमड़ने के लिए छोड़ दिए हों।
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9788197032783
Children's stories, Hindi
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Childhood - Fiction
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