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020 _a9780143467250
082 _aH 891.43
_bP7A5
100 _aPritam, Amrita
245 _aAksharon ki azmat (अक्षरों की अज़मत)
260 _bPenguin Swadesh
_c2024
_aGurugram
300 _a191 p. : ill.
520 _a’अक्षरों की अज़मत’ विभिन्न मंच, समागम, साहित्यिक महोत्सव के साथ-साथ देश के बाहर सरजमीं पर दी गई वे तकरीरें हैं, जो यादगार बन गई हैं। किताब का संपादन इमरोज़ ने किया है। एक ओर अमृता की तकरीरें हमें नया रास्ता-नई सोच की ओर अग्रसर तो करती ही है, तो साथ ही साथ जब इमरोज़ के स्केचेज जब तकरीरों के अंत में दिखता है तो कहीं न कहीं उनमें वह नई जान आ जाती है। हर तकरीर के खत्म होने के साथ दिए गए स्केच काबिले-तारीफ़ हैं। हर बार अमृता को पढ़ते हुए हम कहीं न कहीं अंदर से फ़िल्टर होते हैं और पाठक के तौर पर आसमान तो बड़ा होता ही है, जिसमें हम परिंदों की भांति बहते हैं। इस भेड़चाल के दौर में इनके तकरीरों से गुज़रना हमें मुहब्बत और आदमियत के और करीब ले जाता है। https://www.penguin.co.in/book/aksharon-ki-azmat-%E0%A4%85%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B7%E0%A4%B0%E0%A5%8B%E0%A4%82-%E0%A4%95%E0%A5%80-%E0%A4%85%E0%A4%9C%E0%A4%BC%E0%A4%AE%E0%A4%A4/
650 _aHindi literature - Speeches
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650 _aAmrita Pritam - Speeches and addresses
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650 _aImroz - Sketches
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650 _aHindi literature - History and criticism
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