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020 | _a9788119555659 | ||
082 |
_aH 891.433 _bP2D2 |
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100 |
_aPandey, Vimal Chandra _9427103 |
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245 | _aDasasmedh (दसासमेध) | ||
260 |
_bHind Yugm _c2024 _aNoida |
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300 | _a279 p. | ||
504 | _aडिप्रेशन, अवसाद, एंग्ज़ाइटी और मानसिक रोग हमारे समय के सबसे ख़तरनाक शब्द हैं। भीड़ जितनी बढ़ती जा रही है, अकेलापन भी उसी अनुपात में बढ़ता जा रहा है। चतुर्भुज शास्त्री की ये कहानी बनारस में पले-बढ़े उस आम लड़के की कहानी है जिसे ज़िंदगी में सिर्फ़ प्यार और शांति चाहिए। उसका एक सपना है कि उसे लेखक बनना है और अपने मन में उठने वाले विचारों को पन्नों पर देखना है। इस यात्रा में पहले वो अपने मन में चल रही उधेड़बुन को नहीं समझ पाता लेकिन जब समझता है तो पाता है कि वह डिप्रेशन से जूझ रहा है और उसे अपनों के प्यार और इलाज की ज़रूरत है। लेखक जिस बे-ख़ौफ़ अंदाज़ से आज की राजनीतिक समस्याओं और विद्रूपताओं की नब्ज़ पकड़ता है और आज बढ़ते जा रहे डिप्रेशन और अकेलेपन से उसे जोड़ता है, वो क़ाबिल-ए-तारीफ़ है। युवा इस किताब को लेखक बनने की गाइडलाइन की तरह भी पढ़ सकते हैं। https://www.amazon.in/Dasasmedh-%E0%A4%A6%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%B8%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%A7-%E0%A4%B2%E0%A4%B9%E0%A4%B0%E0%A4%A4%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%BE-%E0%A4%86%E0%A4%97%E0%A5%87-%E0%A4%95%E0%A4%A5%E0%A4%BE/dp/8119555651 | ||
600 |
_aHindi fiction - 21st century _9427623 |
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_aVaranasi (India) - Social life and customs - Fiction _9427650 |
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