Amazon cover image
Image from Amazon.com

Chitramay Bharat (चित्रमय भारत)

By: Contributor(s): Material type: TextTextPublication details: Rajkamal Prakashan 2020 New DelhiDescription: 228 pISBN:
  • 9789389577358
Subject(s): DDC classification:
  • H 759.954 Y2C4
Summary: भारतीय भाषाओं में कला-आलोचना के अभाव को किसी हद तक सुधाकर यादव की 'चित्रमय भारत’ दूर करने का एक ऐसा विस्तृत प्रयास है जो अब तक नहीं हुआ है। ...पाठक लक्ष्य करेंगे कि 'चित्रमय भारत’ में आधुनिक नागर चित्रकारों की कला को तो विषय बनाया ही गया है, पर साथ में हमारे आदिवासी अंचलों में काम कर रहे चित्रकारों की कला पर भी उतनी ही गम्भीरता से लिखा गया है। यह इस पुस्तक की विशिष्ट बात है। मसलन, सुधाकर के लिए मक़बूल फ़िदा हुसैन और जनगढ़ सिंह श्याम दोनों की ही चित्रकृतियाँ विचार योग्य हैं और वे दोनों ही भारत की चित्रकला संस्कृति को समृद्ध करती हैं। इस किताब को अन्तिम पृष्ठ तक पढ़ने के बाद पाठक को पिछले सौ वर्षों से अधिक की भारतीय चित्रकला की यात्रा का, उसमें आए नए-नए पड़ावों और प्रस्थानों का ज्ञान तो होगा ही, अनुभव भी बहुत हद तक हो सकेगा। 'चित्रमय भारत’ हमें भारतीय चित्रकला संस्कृति से आत्मीय होने का अवसर प्रदान करती है। इसे पढ़कर पाठक स्वयं को अपनी संस्कृति की चित्रकला से कहीं अधिक निकटता महसूस करेंगे और अपने भीतर इसे और इसके सहारे ख़ुद को अनुभव करने के मार्ग कहीं अधिक सुगमता से अन्वेषित कर सकेंगे। —उदयन वाजपेयी https://rajkamalprakashan.com/chitramay-bharat.html?srsltid=AfmBOopu2TDYUsG-ZaRXETjGebMWjeOhknDFInYWZxJU-DyQRBLr7Z3B
Tags from this library: No tags from this library for this title. Log in to add tags.
Star ratings
    Average rating: 0.0 (0 votes)
Holdings
Item type Current library Item location Collection Shelving location Call number Status Date due Barcode
Hindi Books Vikram Sarabhai Library Rack 47-A / Slot 2598 (3rd Floor, East Wing) Non-fiction Hindi H 759.954 Y2C4 (Browse shelf(Opens below)) Processing Center 208016

भारतीय भाषाओं में कला-आलोचना के अभाव को किसी हद तक सुधाकर यादव की 'चित्रमय भारत’ दूर करने का एक ऐसा विस्तृत प्रयास है जो अब तक नहीं हुआ है। ...पाठक लक्ष्य करेंगे कि 'चित्रमय भारत’ में आधुनिक नागर चित्रकारों की कला को तो विषय बनाया ही गया है, पर साथ में हमारे आदिवासी अंचलों में काम कर रहे चित्रकारों की कला पर भी उतनी ही गम्भीरता से लिखा गया है। यह इस पुस्तक की विशिष्ट बात है। मसलन, सुधाकर के लिए मक़बूल फ़िदा हुसैन और जनगढ़ सिंह श्याम दोनों की ही चित्रकृतियाँ विचार योग्य हैं और वे दोनों ही भारत की चित्रकला संस्कृति को समृद्ध करती हैं। इस किताब को अन्तिम पृष्ठ तक पढ़ने के बाद पाठक को पिछले सौ वर्षों से अधिक की भारतीय चित्रकला की यात्रा का, उसमें आए नए-नए पड़ावों और प्रस्थानों का ज्ञान तो होगा ही, अनुभव भी बहुत हद तक हो सकेगा। 'चित्रमय भारत’ हमें भारतीय चित्रकला संस्कृति से आत्मीय होने का अवसर प्रदान करती है। इसे पढ़कर पाठक स्वयं को अपनी संस्कृति की चित्रकला से कहीं अधिक निकटता महसूस करेंगे और अपने भीतर इसे और इसके सहारे ख़ुद को अनुभव करने के मार्ग कहीं अधिक सुगमता से अन्वेषित कर सकेंगे।

—उदयन वाजपेयी


https://rajkamalprakashan.com/chitramay-bharat.html?srsltid=AfmBOopu2TDYUsG-ZaRXETjGebMWjeOhknDFInYWZxJU-DyQRBLr7Z3B

There are no comments on this title.

to post a comment.