Amazon cover image
Image from Amazon.com

Bharat ki sanskritik kahani (भारत की सांस्कृतिक कहानी)

By: Material type: TextTextPublication details: Lokbharti Prakashan 2024 PrayagrajEdition: 3rd edDescription: 56 pISBN:
  • 9789389243895
Subject(s): DDC classification:
  • H 306.0954 S4B4
Summary: भारतीय संस्कृति और सभ्यता को केन्द्र में रखकर लिखी गई यह पुस्तक मुख्य रूप से चार बातों पर रोशनी डालती है। पहली बात वह है जब आर्य इस देश में आए और द्रविड़ जाति से मिलकर उन्होंने उस संस्कृति की नींव डाली जिसे हम हिन्दू अथवा भारतीय संस्कृति कहते हैं। दूसरी बात वह है जब यह संस्कृति कुछ पुरानी हो गई और उसके खिलाफ महात्मा बुद्ध और महावीर ने विद्रोह किया, जिसके फलस्वरूप बहुत-सी रूढ़ियाँ दूर हुईं और यह संस्कृति एक बार फिर से नवीन हो गई। तीसरी बात वह है जब इस देश में मुसलमान आए और हिन्दू-धर्म का इस्लाम से सम्बन्ध हुआ। और चौथी बात वह है जब भारत की मिट्टी पर हिन्दुत्व और इस्लाम, दोनों का सम्बन्ध ईसाई धर्म और यूरोप के विज्ञान और बुद्धिवाद से हुआ। इन चारों बातों के मद्देनजर हम कह सकते हैं कि यह पुस्तक ‘संस्कृति के चार अध्याय’ का सार रूप है, जिसमें राष्ट्रकवि दिनकर द्वारा सारगर्भित विवेचन प्रस्तुत किया गया है ताकि अनेक तरह के भ्रमों का निराकरण और उनके वास्तविक रूप को उद्घाटित किया जा सके; पहुँचा जा सके किसी मौलिक निष्कर्ष तक। अपने चिन्तन में एक बेहद प्रभावशाली कृति। संस्कृति और सभ्यता-ये दोनों दो शब्द है और उनके मानी भी अलग-अलग होते हैं । सभ्यता मनुष्य का वह गुण है जिससे वह अपनी बाहरी तरक्की करता है । संस्कृति मनुष्य का वह गुण है जिससे वह अपनी भीतरी उन्नति करता है, दया, माया और परोपकार सीखता है, गीत-नाद, कविता, चित्र और मूर्ति से आनंद लेने की योग्यता हासिल करता है । https://www.amazon.in/-/hi/Ramdhari-Singh-Dinkar/dp/9389243882
Tags from this library: No tags from this library for this title. Log in to add tags.
Star ratings
    Average rating: 0.0 (0 votes)
Holdings
Item type Current library Item location Collection Shelving location Call number Status Notes Date due Barcode
Hindi Books Vikram Sarabhai Library Non-fiction Hindi H 306.0954 S4B4 (Browse shelf(Opens below)) Available New Arrival Books | 03-09 February, 2025| Issue from 10 February, 2025 207705

भारतीय संस्कृति और सभ्यता को केन्द्र में रखकर लिखी गई यह पुस्तक मुख्य रूप से चार बातों पर रोशनी डालती है। पहली बात वह है जब आर्य इस देश में आए और द्रविड़ जाति से मिलकर उन्होंने उस संस्कृति की नींव डाली जिसे हम हिन्दू अथवा भारतीय संस्कृति कहते हैं। दूसरी बात वह है जब यह संस्कृति कुछ पुरानी हो गई और उसके खिलाफ महात्मा बुद्ध और महावीर ने विद्रोह किया, जिसके फलस्वरूप बहुत-सी रूढ़ियाँ दूर हुईं और यह संस्कृति एक बार फिर से नवीन हो गई। तीसरी बात वह है जब इस देश में मुसलमान आए और हिन्दू-धर्म का इस्लाम से सम्बन्ध हुआ। और चौथी बात वह है जब भारत की मिट्टी पर हिन्दुत्व और इस्लाम, दोनों का सम्बन्ध ईसाई धर्म और यूरोप के विज्ञान और बुद्धिवाद से हुआ। इन चारों बातों के मद्देनजर हम कह सकते हैं कि यह पुस्तक ‘संस्कृति के चार अध्याय’ का सार रूप है, जिसमें राष्ट्रकवि दिनकर द्वारा सारगर्भित विवेचन प्रस्तुत किया गया है ताकि अनेक तरह के भ्रमों का निराकरण और उनके वास्तविक रूप को उद्घाटित किया जा सके; पहुँचा जा सके किसी मौलिक निष्कर्ष तक। अपने चिन्तन में एक बेहद प्रभावशाली कृति। संस्कृति और सभ्यता-ये दोनों दो शब्द है और उनके मानी भी अलग-अलग होते हैं । सभ्यता मनुष्य का वह गुण है जिससे वह अपनी बाहरी तरक्की करता है । संस्कृति मनुष्य का वह गुण है जिससे वह अपनी भीतरी उन्नति करता है, दया, माया और परोपकार सीखता है, गीत-नाद, कविता, चित्र और मूर्ति से आनंद लेने की योग्यता हासिल करता है ।


https://www.amazon.in/-/hi/Ramdhari-Singh-Dinkar/dp/9389243882

There are no comments on this title.

to post a comment.