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Azadi kee chhaon mein (आज़ादी की छाँव में)

By: Contributor(s): Material type: TextTextPublication details: National Book Trust 2023 New DelhiDescription: 309 pISBN:
  • 9788123731933
Subject(s): DDC classification:
  • 891.900 K4A9
Summary: भारत से पाकिस्तान और पाकिस्तान से लुटपिट और उजड़कर आने वाले रिफ्यूजी जिस पीड़ा और यातनाओं से गुजरे हैं और जिस तरह धूर्त और लालची लोगों ने मानवता को ताख पर रखकर उन्हें लूटा-खसोटा, शोषित किया उसका चश्मदीद दस्तावेज है बेगम अनीस क्रिदवई की यह कृति आजादी की छांव में। जब व्यक्ति स्वार्थ में अंधा होकर इंसान से हैवान बनता है तब न वह अपने पराए में फर्क कर सकता है न मजहब में। उसका एक ही मकसद होता है. हर मजलूम और बेकस की मजबूरी का फायदा उठाना। धार्मिक उन्माद और कट्टरता, देश और समाज के लिए कितनी बातक हो सकती है, इसका अनुमान इसे पढ़कर सहज ही हो जाता है। विभाजन की उस विभीषिका के बारे में सोचकर ही रूह कांप जाती है। बेगम अनीस क्रिदवई एक गैर सरकारी स्वयंसेवी के रूप में बंटवारे के कारण मुसीबतजदा रिफ्यूजियों के लिए निःस्वार्थ भाव से तन-मन लगाकर सेवा करती रहीं। साथ ही वह एक डायरी भी लिखा करती थीं। दिल हिला देने वाली जिन घटनाओं ने उन पर गहरा असर छोड़ा था, उन्हीं को उन्होंने 'आजादी की छांव में में कलमबद्ध किया है। https://www.nbtindia.gov.in/books_detail__1__aadan-pradan__528__azadi-kee-chhaon-mein-hindi-.nbt
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Item type Current library Item location Collection Shelving location Call number Status Date due Barcode
Hindi Books Vikram Sarabhai Library Rack 44-A / Slot 2479 (3rd Floor, East Wing) On Display Hindi H 891.900 K4A9 (Browse shelf(Opens below)) Available 207587

भारत से पाकिस्तान और पाकिस्तान से लुटपिट और उजड़कर आने वाले रिफ्यूजी जिस पीड़ा और यातनाओं से गुजरे हैं और जिस तरह धूर्त और लालची लोगों ने मानवता को ताख पर रखकर उन्हें लूटा-खसोटा, शोषित किया उसका चश्मदीद दस्तावेज है बेगम अनीस क्रिदवई की यह कृति आजादी की छांव में। जब व्यक्ति स्वार्थ में अंधा होकर इंसान से हैवान बनता है तब न वह अपने पराए में फर्क कर सकता है न मजहब में। उसका एक ही मकसद होता है. हर मजलूम और बेकस की मजबूरी का फायदा उठाना। धार्मिक उन्माद और कट्टरता, देश और समाज के लिए कितनी बातक हो सकती है, इसका अनुमान इसे पढ़कर सहज ही हो जाता है। विभाजन की उस विभीषिका के बारे में सोचकर ही रूह कांप जाती है। बेगम अनीस क्रिदवई एक गैर सरकारी स्वयंसेवी के रूप में बंटवारे के कारण मुसीबतजदा रिफ्यूजियों के लिए निःस्वार्थ भाव से तन-मन लगाकर सेवा करती रहीं। साथ ही वह एक डायरी भी लिखा करती थीं। दिल हिला देने वाली जिन घटनाओं ने उन पर गहरा असर छोड़ा था, उन्हीं को उन्होंने 'आजादी की छांव में में कलमबद्ध किया है।


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