Banjare ki chitthiyaan (बंजारे की चिट्ठियाँ')
Material type:
- 9789392757341
- H 891.43803 R2B2
Item type | Current library | Item location | Collection | Shelving location | Call number | Status | Date due | Barcode | |
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Hindi Books | Vikram Sarabhai Library | Rack 47-B / Slot 2630 (3rd Floor, East Wing) | Fiction | Hindi | H 891.43803 R2B2 (Browse shelf(Opens below)) | Processing Center | 207444 |
सुमेर सिंह राठौड़ रेत के समन्दर और अंधड़ में खेलकर बड़े हुए हैं। अपने रचनात्मक तनाव में वे उसी खिलाड़ी जज्बे से आगे बढ़ते दिखते हैं। जहाँ शब्द साथ नहीं होते, वहाँ सुमेर दृश्यों में अपनी बात कह गुज़रते हैं। जब विचारों की दौड़ लगती है, तब उनके शब्द आज़ाद परिन्दों की तरह तमाम बन्दिशों से होड़ लेते हैं।
कहने को 'बंजारे की चिट्ठियाँ' डायरी विधा की किताब है। लेकिन यह इस पीढ़ी की मन:स्थिति के एक ऐसे स्कैन रिपोर्ट की तरह है जो आने वाले समय का एक साहित्यिक दस्तावेज़ भी है। चाह-बिछोह, लाग-लपेट, सफलता-सार्थकता, विफलता-कशमकश—जो कुछ जीवन में है, वह सुमेर के लेखन में देखने को मिलता है।
खुरदुरी ज़िन्दगी का एक बेहद कोमल आख्यान है यह किताब; जिसे पढ़ना अपने किसी-न-किसी अक्स को भी देखने जैसा है।
https://rajkamalprakashan.com/banjare-ki-chitthiyaan.html
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