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Hindi sahitya ka samagra itihas

By: Material type: TextTextPublication details: Lokbharti Prakashan 2019 New DelhiDescription: 487pISBN:
  • 9789388211321
Subject(s): DDC classification:
  • H 891.4309 S4H4
Summary: हिन्दी साहित्य का समग्र इतिहास नये अनुसंधानों, विमर्शों के परिप्रेक्ष्य में समाज सापेक्षता तथा कला मूल्यों के परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत किया गया है । इसमें हिंदी-भाषी प्रान्तों के अलावा अन्य प्रान्तो में रहने वाले, हिन्दीतर भारतीय भाषाओं के प्रयोक्ता लेखकों एवं कवियों की रचनाओं को समाहित किया गया है । नई विधाओं-जैसे हिन्दी गज़ल, नवगीत, अनुगीत, हाइकू के रचना-शिल्प पर समुचित प्रकाश डाला गया है । स्वतन्त्रता के बाद के ऐसे रचनाकारों की रचनाओं पर विचार किया गया है जो आन्दोलनों से न जुड़कर स्वतन्त्र लेखन कर रहे थे । रचनाकारों तथा रचनाओं का मूल्यांकन दुराग्रह्मुक्त होकर निष्पक्ष भाव से किया गया है । हिन्दी और उर्दू का गहरा रिश्ता हैं अतः हिन्दी के अध्येताओं का उर्दू साहित्य से भी परिचित होना चाहिए इसी दृष्टि से उर्दू साहित्य का अति संक्षिप्त इतिहास दर्शाया गया हैं | समकालीन अनेक रचनाओ को शामिल किया गया है जो साहित्यिक दृष्टि से उत्कृष्ट है किन्तु साहित्येतिहासों में जिनकी उपेक्षा की गयी है । आधुनिक युग में व्रज तथा अवधी साहित्य की प्रवृतियों पर प्रकाश डाला गया है । विवेचन की भाषा-शैली स्पष्ट, सुबोध तथा निष्पक्ष है | हिन्दी साहित्य के समग्र इतिहास में काव्य प्रवृतियों का अभिनव दृष्टि से मूल्यांकन किया गया है । नये विमर्शों तथा पुनर्पाठ की दृष्टि से नयी सामग्री का समावेश भी किया गया है । हिन्दी ग़ज़ल, हाइकू, बोलियों के साहित्य को भी यथास्थान अंकित किया गया है ।
List(s) this item appears in: Books Display - Hindi Fortnight 2020 (पुस्तक प्रदर्शनी - हिंदी पखवाड़ा २०२०) | Hindi Fortnight 2023 (पुस्तक प्रदर्शनी - हिंदी पखवाड़ा 2023) | Fiction @ VSL
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Item type Current library Item location Collection Shelving location Call number Status Date due Barcode
Hindi Books Vikram Sarabhai Library Rack 47-B / Slot 2622 (3rd Floor, East Wing) Fiction Hindi H 891.4309 S4H4 (Browse shelf(Opens below)) Available 198829

हिन्दी साहित्य का समग्र इतिहास नये अनुसंधानों, विमर्शों के परिप्रेक्ष्य में समाज सापेक्षता तथा कला मूल्यों के परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत किया गया है । इसमें हिंदी-भाषी प्रान्तों के अलावा अन्य प्रान्तो में रहने वाले, हिन्दीतर भारतीय भाषाओं के प्रयोक्ता लेखकों एवं कवियों की रचनाओं को समाहित किया गया है । नई विधाओं-जैसे हिन्दी गज़ल, नवगीत, अनुगीत, हाइकू के रचना-शिल्प पर समुचित प्रकाश डाला गया है । स्वतन्त्रता के बाद के ऐसे रचनाकारों की रचनाओं पर विचार किया गया है जो आन्दोलनों से न जुड़कर स्वतन्त्र लेखन कर रहे थे । रचनाकारों तथा रचनाओं का मूल्यांकन दुराग्रह्मुक्त होकर निष्पक्ष भाव से किया गया है । हिन्दी और उर्दू का गहरा रिश्ता हैं अतः हिन्दी के अध्येताओं का उर्दू साहित्य से भी परिचित होना चाहिए इसी दृष्टि से उर्दू साहित्य का अति संक्षिप्त इतिहास दर्शाया गया हैं | समकालीन अनेक रचनाओ को शामिल किया गया है जो साहित्यिक दृष्टि से उत्कृष्ट है किन्तु साहित्येतिहासों में जिनकी उपेक्षा की गयी है । आधुनिक युग में व्रज तथा अवधी साहित्य की प्रवृतियों पर प्रकाश डाला गया है । विवेचन की भाषा-शैली स्पष्ट, सुबोध तथा निष्पक्ष है | हिन्दी साहित्य के समग्र इतिहास में काव्य प्रवृतियों का अभिनव दृष्टि से मूल्यांकन किया गया है । नये विमर्शों तथा पुनर्पाठ की दृष्टि से नयी सामग्री का समावेश भी किया गया है । हिन्दी ग़ज़ल, हाइकू, बोलियों के साहित्य को भी यथास्थान अंकित किया गया है ।

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