TY - BOOK AU - Ojha, Virendra TI - Daastan aur bhi hai (दास्तान और भी है) SN - 9788119555529 U1 - 891.433 PY - 2024/// CY - Noida PB - Hind Yugm KW - Hindi fiction - 21st century KW - Self-perception in literature KW - Existentialism in literature KW - Inner struggles - Fiction KW - Social change in literature KW - Philosophical fiction, Hindi N2 - यह उपन्यास एक आत्म-संवाद है, जिसमें भावना का विमर्श-आत्मविमर्श है। इस कथा में एक व्यक्ति उपस्थित होता है जो अपनी ही कहानी कहने लगता है, एक असमर्थता के भान के साथ। यह असमर्थता उसकी एक बड़ी ताक़त है। उपन्यास का नायक अपने जीवन के एक घने अँधेरे से निकलकर पुनः एक घने अँधेरे में प्रवेश करता है—समाज के लिए एक उजाले की तलाश में, एक बदलाव की चाहत में। पेश है ‘एक ग़ैर मामूली दास्तान’ के बाद ‘दास्तान और भी है’ जो उपजी है संस्कारों के शहर प्रयागराज-इलाहाबाद में, जो नई अपेक्षाओं के सापेक्ष है— मुझे कर्ण की तरह अंग का राज्य मत दो मुझे अपनी ज़मीं जीतने दो मुझे ऐसे मत मारो मेरी बाँहें खोल दो मुझे लड़कर मरने https://www.kitabeormai.in/product-page/%E0%A4%A6-%E0%A4%B8-%E0%A4%A4-%E0%A4%A8-%E0%A4%94%E0%A4%B0-%E0%A4%AD-%E0%A4%B9-daastaan-aur-bhi-hai ER -