Rajo aur mis phariya Manto, Saadat Hasan
By: Manto, Saadat Hasan
Publisher: New Delhi Vani Prakashan 2012Description: 90 p.ISBN: 9789350722749Subject(s): Fiction

Item type | Current location | Item location | Collection | Call number | Status | Date due | Barcode |
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Hindi Books | Vikram Sarabhai Library | Slot 2560 (3 Floor, East Wing) | Fiction | H 891.43 M2R2 (Browse shelf) | Available | 179700 |
आम ख़याल में मण्टो की शोहरत हालाँकि उन कहानियों की वजह से है जो उसने बँटवारे और फिरका टकराव पर लिखी हैं या फिर समाज के गर्हित पक्ष- वेश्याओं, भड़वों और दूसरे निचले तबकषें के लोगों- पर, लेकिन मण्टो की कहानियों की एक बहुत बड़ी तादाद ऐसी कहानियों की भी है जिनमें उसने प्रेम और घर-गृहस्थी के दूसरे पहलुओं को चित्रित किया है या फिर ऐसे सहज-सरल लोगों को उकेरा है जो सामान्यतः किसी कहानी के पात्र नहीं जान पड़ते। यह मण्टो की खूबी है कि फिरकापरस्ती और सामाजिक बुराइयों के सिलसिले में नश्तर की-सी धार से काम लेने वाला मण्टो ऐसे पात्रों और प्रसंगों की तस्वीर की कलम के बेहद कोमल स्पर्शों से करता है।
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