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Bharat ki vigyan yatra (भारत में भारतीय विज्ञान)

By: Contributor(s): Material type: TextTextPublication details: New Delhi Prabhat Prakashan 2008Description: 206 pISBN:
  • 9788173155345
Subject(s): DDC classification:
  • H 509.54 N2B4
Summary: भारत में भारतीय विज्ञान व प्रौद्योगिकी से संबद्ध दो अलग-अलग विचारधाराएँ रही हैं। एक ओर यह समझ है कि भारत ने विज्ञान व प्रौद्योगिकी की राह पर देर से कदम रखा और अभी उसे काफी रास्ता तय करना है तथा दूसरी ओर यह मान्यता है कि हमारा अतीत ज्ञान से परिपूर्ण था और हम संसार का नेतृत्व करते थे। प्रस्तुत पुस्तक भारत की विज्ञान यात्रा के मील के पत्थरों से हमारा परिचय कराती है और विज्ञान में भारत के उल्लेखीय योगदान से हमारा गौरव बढ़ाती है। इसमें विज्ञान के अलावा सामाजिक सोच से संबंधित मुद्दे भी वर्णित हैं। उच्च शिक्षा, वैज्ञानिक दृष्टिकोण तथा विज्ञान एवं धर्म के बीच होनेवाले संघर्ष या विवाद और जनता पर विज्ञान के अलग-अलग प्रभावों का भी वर्णन किया गया है। अंतिम अध्याय में चर्चा की गई है कि सांस्कृतिक, शैक्षिक, वैज्ञानिक उद्योग ने कहीं धार्मिक व दार्शनिक तलाश के क्षेत्र को तो प्रभावित नहीं किया है? बहुत से अनुभवी व प्रख्यात विद्वानों द्वारा इन विषयों पर लिखा गया है; पर हिंदी में इस नवीन विषय पर लिखी पुस्तकें प्राय: नगण्य ही हैं। वरिष्ठ वैज्ञानिक और स्थापित लेखक डॉ. जयंत विष्णु नारलीकर ने इस अभाव की पूर्ति करते हुए यह पुस्तक प्रस्तुत की है, जो अपने विषय की ठोस व सार्थक मीमांसा करते हुए पाठकों को ढेरों नई-नई जानकारियाँ देगी। https://www.prabhatbooks.com/bharat-ki-vigyan-yatra.htm
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Hindi Books Vikram Sarabhai Library Rack 46-B / Slot 2591 (3rd Floor, East Wing) Hindi H 509.54 N2B4 (Browse shelf(Opens below)) Available 168730

भारत में भारतीय विज्ञान व प्रौद्योगिकी से संबद्ध दो अलग-अलग विचारधाराएँ रही हैं। एक ओर यह समझ है कि भारत ने विज्ञान व प्रौद्योगिकी की राह पर देर से कदम रखा और अभी उसे काफी रास्ता तय करना है तथा दूसरी ओर यह मान्यता है कि हमारा अतीत ज्ञान से परिपूर्ण था और हम संसार का नेतृत्व करते थे।
प्रस्तुत पुस्तक भारत की विज्ञान यात्रा के मील के पत्थरों से हमारा परिचय कराती है और विज्ञान में भारत के उल्लेखीय योगदान से हमारा गौरव बढ़ाती है। इसमें विज्ञान के अलावा सामाजिक सोच से संबंधित मुद्दे भी वर्णित हैं। उच्च शिक्षा, वैज्ञानिक दृष्टिकोण तथा विज्ञान एवं धर्म के बीच होनेवाले संघर्ष या विवाद और जनता पर विज्ञान के अलग-अलग प्रभावों का भी वर्णन किया गया है। अंतिम अध्याय में चर्चा की गई है कि सांस्कृतिक, शैक्षिक, वैज्ञानिक उद्योग ने कहीं धार्मिक व दार्शनिक तलाश के क्षेत्र को तो प्रभावित नहीं किया है?
बहुत से अनुभवी व प्रख्यात विद्वानों द्वारा इन विषयों पर लिखा गया है; पर हिंदी में इस नवीन विषय पर लिखी पुस्तकें प्राय: नगण्य ही हैं। वरिष्ठ वैज्ञानिक और स्थापित लेखक डॉ. जयंत विष्णु नारलीकर ने इस अभाव की पूर्ति करते हुए यह पुस्तक प्रस्तुत की है, जो अपने विषय की ठोस व सार्थक मीमांसा करते हुए पाठकों को ढेरों नई-नई जानकारियाँ देगी।


https://www.prabhatbooks.com/bharat-ki-vigyan-yatra.htm

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